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Chamba के इतिहास की पूरी जानकारी | chamba History in Hindi : Himachal pardesh

आप सब लोगो का स्वागत हिमाचल प्रदेश के ऊपर अदारित स्पेसल ब्लॉग हिमाचल की कहानी में इस ब्लॉग में हम लोग हिमाचल के chamba डिस्ट्रिक् के इतिहास को समजने की कोसिस कर रहे है

Chamba

Chamba हिमाचल के महतबपुर्ण डिस्ट्रिक् में से एक है और चम्बा की खासियत ये रही कि chamba के ऊपर बहुत कम बाहरी आक्रमण देखे गए जिसके कारण chamba का जो cultural & heritage जो आज बी हमको देखने के लिए मिलती है यहां पर बहुत से मंदिर मौजूद है और उसके साथ साथ अलग अलग टाइम पीरियड पर इशू किये गए अभिलेख भी हमको देखने को मिलते है चाहे वो शारदा लिपि में है या देवनागरी लिपि है जिसके कारण chamba का जो इतिहास है उसको समजना हमारे लिए थोड़ा सा आसान हो जाता है

Chamba

अब यहाँ पर सबाल आता है कि चम्बा का नाम chamba क्यों पड़ा इसके पीछे हमे अलग अलग कहानीया देखने को मिलती है कई जगह पर ये कहा जाता है कि chamba का जो नाम चम्बा पड़ा वो चम्पा के वृक्षों के नाम पर पड़ा कई जगह पर ये भी कहा जाता है कि चम्बा के बहुत ही महतबपुर्ण राजा हुआ करते थे जिनका नाम था साहिल बरमन उनकी बेटी का नाम चम्पावती हुआ करता था तो उसके नाम पर ही चम्बा का नाम chamba पड़ा 

अगर हम बात करे आज के चम्बा डिस्ट्रिक्ट और पुरानी रियासत की बात करे तो जो चम्बा रियासत के एरिया हुआ करता था भो एरिया आज की चम्बा डिस्ट्रिक्ट से दोगुना हुआ करता था उस समय भद्रबा वैली से लेके भद्र वैली और जो धौलाधार की दक्षिण की पहाडीयों से लेके बंगाल एरिया तक हमको chamba रियासत देखने को मिलती थी


चंबा राज्य की स्थापना कब हुई थी?

ऐसा माना जाता है कि chamba राज्य की स्थापना 550 - 600 (A.d) के बीच राजा मेरु के द्वारा की गई राजा मेरु अपना ओरिजन ट्रेस करते है आयोदया से और ऐसा मन जाता है की ये बागवान श्री राम के बंसज थे इसके बाद राजा मेरु के द्वारा भरमौर नामक जगह जिसका पुराना नाम ब्रमपूरा बो हुआ करता था 


वहां पर अपनी राजधानी बनाई जाती है राजा मेरु के बाद हम लोगो को जतस्तम्ब, जलस्तम्ब, महास्तम्ब जैसे राजा हमको देखने को मिलते है लेकिन इतिहास में इनका कोई भी बर्णन नही किया गया है।राजा मेरु के बाद जो अगले महतबपुर्ण राजा है जिनका जिक्र हमे अलग अलग कहानियों में देखने को मिलता है उनका नाम है आदित्य बर्मन, आदित्य बर्मन 620 (a.d) के आसपास  chamba के राजा रहे 


और ऐसा माना जाता है कि उस समय दिल्ली पर हषर्वर्धन का राज था और chamba जो है हषर्वर्धन के कंट्रोल में था आदित्य बर्मन को दो चीज़ों से जाना जाता है कुछ जगहों पर ऐसा लिखा गया है कि आदित्य बर्मन जो है वो chamba के सबसे पहले महानतम राजा जिनकानाम मेरु बर्मन हुआ करता था उनके ग्रेट ग्रैंड फादर थे उसके साथ साथ आदित्य बर्मन पहले राजा थे जिनके साथ बर्मन नाम लगते हुए देखते है।


Bala verman (A. D 640)

साहिल बर्मन के बाद अगले राजा रहे जिनका नाम था बाल बर्मन, बाल बर्मन का जिक्र वेसे तो बनसाबली  में तो देखने को नही मिलता है लेकिन बाबजूद कुछ कहानियो में बाल बर्मन को ग्रैंड फादर ऑफ मेरु बर्मन के रूप में लिखा गया है

Diwaker verman (A.D 660)

इसके बाद अगले महतबपुर्ण राजा रहे दिवाकर बर्मन, दिवाकर बर्मन का नाम चतरारी इंस्क्रिप्शन में लिखा गया अब हम लोग बात करते है chamba के सबसे पहले महत्तम राजा जिनका नाम था मेरु बर्मन ।

Meru barman (A.D 680)

अगर हम मेरु बर्मन की बात करे तो मेरु बर्मन 680 (A.D) के आसपास हम लोगो को chamba के राजा के रूप में देखने को 
मिलते है मेरु बर्मन वो थे जिन्होंने धीरे धीरे जो chamba रियासत की टेनेटरी को एक्सपैंड करना सुरु किया मेरु बर्मन  को महाराज धीराज के नाम से बी जाना जाता था मेरु बर्मन ने कुल्लू के राजा जिनका नाम दतेश्वल पाल हुआ करता था उनको हराया और कुल्लू राज्य हम लोगो को इनके समय पर chamba रियासत के अदीन देखने को मिलता है
जब मेरु बर्मन अपने विरोधीयो को हरा रहे थे 


तो उन्होंने छतरारी टेम्पल में शक्ति दैवी की जो मूर्ति है उसे स्थापित किया और उससे मदद मांगी अपने विरोधीयो के खिलाफ और माता ने बी उनकी मदद की इसके साथ साथ मेरु बर्मन की हम बात करते है उस समय गुग्गा नाम के क्राफ्समान हुआ करते थे जिनके द्वारा बहुत से मंदिरों का निर्माण किया गया मेरु बर्मन के द्वारा जो मंदिर जिनका निर्माण हुआ उनमे प्रमुख है लक्षणा दैवी टेम्पल, मणिमहेश टेम्पल, नरसिंघा टेम्पल, ओर इसके साथ गणेशा टेम्पल, इसके साथ एक सूर्यमुखी शराइन इसकी स्थापना भी मेरु बर्मन के कार्यकाल में हुई थी।


Ajay varman (A.D 760)

अजय बर्मन की हम बात करे तो इतिहास में एक घटना के हमेसा इनको याद किया जाता है आप सब लोग हिमाचल में गददी कम्युनिटी  के बारे में जरूर जानते होंगे गददी कम्युनिटी हमे chamba डिस्ट्रिक्ट और कांगड़ा में देखने को मिलती है सबसे पहले हिमाचल में जो गददी कम्युनिटी आयी वो आयी दिल्ली से लेकिन काफी जगहों पर ऐसा बी कहा जाता है कि जो गददी कम्युनिटी  है वो ओरिजनली लाहौर बाले जो एरिया है उनको बिलोंग करती थी गददी कम्युनिटी को दिल्ली में बी शरण नही मिली तो उनको चम्बा के राजा ने उनको शरण दी


Lakshmi varman (A.D 800)

अब हम बात करते है chamba रियासत के अगले राजा जिनका नाम था लक्ष्मी बर्मन Lakshmi varman का जो टाइम पीरिएड है उसको chamba रियासत के डारकेस्ट टाइम पीरिएड कंसीडर किया जाता है ये वही टाइम पीरिएड है जब चम्बा रियासत के अंदर  एक महामारी में चम्बा आदे लोग अपनी जान गवा देते है ओर उसी दौरान लक्ष्मी बर्मन को अपना एरिया को छोड़ कर जाना पड़ता है इस चीज़ का फायदा उठाते है

तिबतियन देखते है कि chamba की रियासत के ऊपर कोई वी राजा मौजूद नही है उसी समय तिबतीयन जिनको yarklandis के नाम से बी जाना जाता था वो chamba के ऊपर अपना कंट्रोल कर लेते है कुछ समय के बाद लक्ष्मी बर्मन की मृत्यु हो जाती है ओर यही जो तिबतीयन है ये घिरे घिरे नीचे जो हम kangra में बैजनाथ नाम की जगह देखते है उसका बी नामकरण करते है जिसको पहले हम किराग्राम के नाम से जानते है ये जो तिबतीयन है इनको हम किरा नाम से जानते थे।

Mushan varman (A.d 820)


अब हम बात करते है chamba के अगले राजा जिनका नाम है Mushan varman मुशन बर्मन लक्ष्मी बर्मन के बेटे थे ऐसा माना जाता है जब लक्ष्मी बर्मन की मृत्यु हुई तब मुशन बर्मन अपनी माता की कोख में थे उनकी माता को ऐसा लगता था कि उनके बेटे को कोई मारना चाहता है यही कारण है की वो chamba को छोड़ के नीचे बाले एरिया में चलना सुरु कर देती है। ओर उनके साथ कुछ मंत्री मंडल के सदसय भी थे परन्तु रानी किसी के ऊपर बिस्वास नही करती थी।

जैसे ही वो kangra डिस्ट्रिक्ट से गुजर रहे थे तो वहाँ पर एक जगह है garoh गरोह हमे deol के पास देखने को मिलता है तो वहाँ पर रानी एक गुफा में कुछ समय के लिए ठहरती है और जब रानी गुफा में ठहर रही थी उसी समय mushan varman का जन्म होता है क्योकि रानी किसी पे बिसबास नही कर रही थी तो अपने बेटे को गुफा में ही छोड़ देती है और थोड़ी दूर जो उनके सैनिक थे उनको शक  होता हैं।
कि कुछ तक गड़बड़ है 


और वो रानी से सवाल करते है रानी ये बताती है कि किस तरह से एक उनका बेटा पैदा होता है ओर अपने बेटे को छोड़ के आ गयी है वो सारे के सारे लोग इस गुफा की ओर भागते है और देखते है कि जो बचा है वो चूहों से गिरा होता है और ऐसा लगता है को वो चूहे उसको प्रोटेक्ट कर रहे थे यही कारण है कि बाद में उसका नाम mushan varman पड़ता है।


उसके बाद mushan varman एक ब्रामण के घर मे रहने लगे ब्रामण कुछ समय के बाद पता चलता है कि ये जो राजा है बहुत ही बड़े राजबंस से बिलोंग करता है और वो उस रानी से सवाल करता है रानी बताती है कि किस तरह chamba के राजा का बेटा है वो ब्रामण suket के राजा के यहाँ काम करता था वो suket के राजा को पूरी कहानी बताता है suket का राजा mushan varman को शरण देता है पढ़ाई लिखाई की जिमेबारी उठाता है ओर जब mushan varman बड़ा होता है तो suket राजा की जो बेटी है उसका बिभाह mushan varman से कर देता है और suket की जो राजदानी है जिसका नाम पगना है उसको दहेज के रूप में mushan varman को शोम्प दिया जाता है 


अब mushan varman को इंतजार था chamba रियासत को जितने का और जैसे ही वो बड़ा होता है तो वो देखता है कि तिबतीयन कमजोर हो चुके है वो फिर से राजा suket की सहायता से chamba पर अटेक करता है और अपने राज्ये को रीगेट करता है जब mushan varman राजा बनेगा चम्बा का तो वो किलिंग जो है चूहों की उसको पूरी तरह से बंद के देगा ओर उसके बाद हम देखते है कि जो chamba राज्ये है वहां चूहों को मारने पर  वहां का जो राजवंश था उसके द्वारा काफी समय तक पाबंदी लगाई गई




















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